Index Search for 'आहितस्त्वयि' |
Shloka: | सोऽयं वत्से महाभारआहितस्त्वयि सांप्रतम् । त्वं सदा नियता कुर्या ब्राह्मणस्याभिराधनम् ॥ |
Reference: | 3.43.287.0.18(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>कुन्दलाहरणपर्व>सप्ताशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#18) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | कुन्दलाहरणपर्व |
Adhyaya: | सप्ताशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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