Index Search for 'आहरणाय' |
Shloka: | न तं देवाः सह शक्रेण सेहिरे समागताआहरणाय भीताः । दृष्ट्वा च ते विक्रमं केशवस्य बलं तथैवास्त्रमवारणीयम् ॥ |
Reference: | 5.53.47.0.75(उद्योगपर्व>यानसंधिपर्व>सप्तचत्वारिंशोऽध्यायः (47)>श्लोक#75) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | यानसंधिपर्व |
Adhyaya: | सप्तचत्वारिंशोऽध्यायः (47) |
Akhyana: | |
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