Index Search for 'आस्तिकं' |
Shloka: | अप्रकीर्णेन्द्रियं दान्तं शुचिं नित्यमतन्द्रितम् ।आस्तिकं श्रद्दधानं च वर्जयन्ति सदा ग्रहाः ॥ |
Reference: | 3.37.219.0.57(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकोनविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#57) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकोनविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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