Index Search for 'आसप्तमं' |
Shloka: | पुलस्त्य उवाच - ततो गच्छेत धर्मज्ञ धर्मतीर्थं पुरातनम् । तत्र स्नात्वा नरो राजन्धर्मशीलः समाहितः ।आसप्तमं कुलं राजन्पुनीते नात्र संशयः ॥ |
Reference: | 3.33.82.0.1(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>द्वयशीतितमोऽध्यायः (82)>श्लोक#1) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | द्वयशीतितमोऽध्यायः (82) |
Akhyana: | |
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