Index Search for 'आसप्तमं' |
Shloka: | आसप्तमं कुलं चैव पुनाति भरतर्षभ । अवतीर्णं च तत्रैव तीर्थं कुरुकुलोद्वह । विप्राणामनुकम्पार्थं दर्भिणा निर्मितं पुरा ॥ |
Reference: | 3.33.81.0.133(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>एकाशीतितमोऽध्यायः (81)>श्लोक#133) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | एकाशीतितमोऽध्यायः (81) |
Akhyana: | |
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