Index Search for 'आश्राव्योऽथ' |
Shloka: | कक्षीवान्गौतमस्तार्क्ष्यस्तथा वैश्वानरो मुनिः । मुनिः कालकवृक्षीयआश्राव्योऽथ हिरण्यदः । संवर्तो देवहव्यश्च विष्वक्सेनश्च वीर्यवान् ॥ |
Reference: | 2.20.7.0.16(सभापर्व>सभावर्णनपर्व>सप्तमोऽध्यायः (07)>श्लोक#16) |
Parva: | सभापर्व |
Upaparva: | सभावर्णनपर्व |
Adhyaya: | सप्तमोऽध्यायः (07) |
Akhyana: | |
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