Index Search for 'आश्चर्यभूतं' |
Shloka: | आश्चर्यभूतं भवतः श्रुतं नो वदतां वर । मुने भार्गव यद्वृत्तं युगादौ प्रभवाप्ययौ ॥ |
Reference: | 3.37.188.0.4(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>अष्टाशीत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#4) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | अष्टाशीत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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