Index Search for 'आशीविषात्' |
Shloka: | ययातिः उवाच - क्रुद्धात्आशीविषात् सर्पात् ज्वलनात् सर्वतः मुखात् । दुराधर्षतरः विप्रः पुरुषेण विजानता ॥ |
Reference: | 1.7.76.2.22(आदिपर्व>संभवपर्व>षट्सप्ततितमोऽध्यायः (76)>ययात्युपाख्यान>श्लोक#22) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | षट्सप्ततितमोऽध्यायः (76) |
Akhyana: | ययात्युपाख्यान |
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