Index Search for 'आवर्तयध्वं' |
Shloka: | तिष्ठन्ति वर्त्मानि नवान्यमूनि वृक्षाश्च न म्लान्ति तथैव भग्नाः ।आवर्तयध्वं ह्यनुयात शीघ्रं न दूरयातैव हि राजपुत्री ॥ |
Reference: | 3.42.253.0.16(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>त्रिपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#16) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | त्रिपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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