Index Search for 'आर्ष्टिषेणेन' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच - ततः सूर्योदये धौम्यः कृत्वाह्निकमरिंदम ।आर्ष्टिषेणेन सहितः पाण्डवानभ्यवर्तत ॥ |
Reference: | 3.35.160.0.1(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>यक्षयुद्धपर्व>षष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#1) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | यक्षयुद्धपर्व |
Adhyaya: | षष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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