Index Search for 'आर्यस्य' |
Shloka: | तं संधिमास्थाय सतां सकाशे को नाम जह्यादिह राज्यहेतोः ।आर्यस्य मन्ये मरणाद्गरीयो यद्धर्ममुत्क्रम्य महीं प्रशिष्यात् ॥ |
Reference: | 3.31.35.0.14(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>कैरातपर्व>पञ्चत्रिंशोऽध्यायः (35)>श्लोक#14) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | कैरातपर्व |
Adhyaya: | पञ्चत्रिंशोऽध्यायः (35) |
Akhyana: | |
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