Index Search for 'आरब्धाः' |
Shloka: | मन्थानम् मन्दरम् कृत्वा तथा नेत्रम् च वासुकिम् । देवा मथितुम्आरब्धाः समुद्रम् निधिम् अम्भसाम् । अमृत अर्थिनः ततः ब्रह्मन् सहिता दैत्य दानवाः ॥ |
Reference: | 1.5.16.0.12(आदिपर्व>आस्तीकपर्व>षोडशोऽध्यायः (16)>श्लोक#12) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | आस्तीकपर्व |
Adhyaya: | षोडशोऽध्यायः (16) |
Akhyana: | |
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