Index Search for 'आमूर्तरयसश्चेह' |
Shloka: | आमूर्तरयसश्चेह राजा वज्रधरं प्रभुम् । तर्पयामास सोमेन हयमेधेषु सप्तसु ॥ |
Reference: | 3.33.121.0.3(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>एकविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (121)>श्लोक#3) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | एकविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (121) |
Akhyana: | |
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