Index Search for 'आमन्त्र्य' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच - तमेवमुक्त्वा वचनं महर्षिस्तपस्विमध्ये सहितं सुहृद्भिः ।आमन्त्र्य धौम्यं सहितांश्च पार्थांस्ततः प्रतस्थे दिशमुत्तरां सः ॥ |
Reference: | 3.31.26.0.18(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>कैरातपर्व>षड्विंशोऽध्यायः (26)>श्लोक#18) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | कैरातपर्व |
Adhyaya: | षड्विंशोऽध्यायः (26) |
Akhyana: | |
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