Index Search for 'आपद्येरन्दिष्टवशेन' |
Shloka: | ते चेत्पित्र्ये कर्मणि वर्तमानाआपद्येरन्दिष्टवशेन मृत्युम् । यथाशक्त्या पूरयन्तः स्वकर्म तदप्येषां निधनं स्यात्प्रशस्तम् ॥ |
Reference: | 5.50.29.0.18(उद्योगपर्व>सञ्जययानपर्व>एकोनत्रिंशोऽध्यायः (29)>श्लोक#18) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | सञ्जययानपर्व |
Adhyaya: | एकोनत्रिंशोऽध्यायः (29) |
Akhyana: | |
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