Index Search for 'आनृशंस्यं' |
Shloka: | यक्ष उवाच - यस्य तेऽर्थाच्च कामाच्चआनृशंस्यं परं मतम् । तस्मात्ते भ्रातरः सर्वे जीवन्तु भरतर्षभ ॥ |
Reference: | 3.44.297.0.74(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आरणेयपर्व >सप्तनवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#74) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आरणेयपर्व |
Adhyaya: | सप्तनवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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