Index Search for 'आनुपूर्व्येण' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच - ततः प्रयातः कौशिक्याः पाण्डवो जनमेजय ।आनुपूर्व्येण सर्वाणि जगामायतनान्युत ॥ |
Reference: | 3.33.114.0.1(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>चतुर्दशाधिकशततमोऽध्यायः (114)>श्लोक#1) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | चतुर्दशाधिकशततमोऽध्यायः (114) |
Akhyana: | |
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