Index Search for 'आनुपूर्व्या' |
Shloka: | आनुपूर्व्या विनश्यन्ति जायन्ते चानुपूर्वशः । तत्र तत्र हि दृश्यन्ते धातवः पाञ्चभौतिकाः । यैरावृतमिदं सर्वं जगत्स्थावरजङ्गमम् ॥ |
Reference: | 3.37.202.0.10(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>द्वयधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#10) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | द्वयधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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