Index Search for 'आनीयतामपरस्तिग्मतेजाः' |
Shloka: | इक्ष्वाकवो हन्त चरामि वः प्रियं निहन्मीमं विप्रमद्य प्रमथ्य ।आनीयतामपरस्तिग्मतेजाः पश्यध्वं मे वीर्यमद्य क्षितीशाः ॥ |
Reference: | 3.37.190.0.75(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>नवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#75) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | नवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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