Index Search for 'आनमन्ति' |
Shloka: | मा एवम् शुचः मा रुद देवयानि न त्वादृशी मर्त्यम् अनुप्रशोचेत् । सुराः च विश्वे च जगत् च सर्वम् उपस्थिताम् वैकृतिम्आनमन्ति ॥ |
Reference: | 1.7.71.2.36(आदिपर्व>संभवपर्व>एकसप्ततितमोऽध्यायः (71)>ययात्युपाख्यान>श्लोक#36) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | एकसप्ततितमोऽध्यायः (71) |
Akhyana: | ययात्युपाख्यान |
Search other sources: | search this word on other online resources
|