Index Search for 'आधाररूपा' |
Shloka: | आधाररूपा पुनरस्य कण्ठे विभ्राजते विद्युदिवान्तरिक्षे । द्वौ चास्य पिण्डावधरेण कण्ठमजातरोमौ सुमनोहरौ च ॥ |
Reference: | 3.33.112.0.3(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>द्वादशाधिकशततमोऽध्यायः (112)>श्लोक#3) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | द्वादशाधिकशततमोऽध्यायः (112) |
Akhyana: | |
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