Index Search for 'आद्रियन्ते' |
Shloka: | ऋतस्य दातारम् अन् उत्तमस्य निधिम् निधीनाम् चतुः अन्वयानाम् । ये नआद्रियन्ते गुरुम् अर्चनीयम् पापान् लोकान् ते व्रजन्ति अप्रतिष्ठान् ॥ |
Reference: | 1.7.71.2.51(आदिपर्व>संभवपर्व>एकसप्ततितमोऽध्यायः (71)>ययात्युपाख्यान>श्लोक#51) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | एकसप्ततितमोऽध्यायः (71) |
Akhyana: | ययात्युपाख्यान |
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