Index Search for 'आत्मानं' |
Shloka: | आत्मानं वा परित्यज्य शत्रून्वा विनिपात्य वै । अतोऽन्येन प्रकारेण शान्तिरस्य कुतो भवेत् ॥ |
Reference: | 5.54.133.12.14(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>त्रयस्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (133)>विदुरापुत्रानुशासनम्>श्लोक#14) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | त्रयस्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (133) |
Akhyana: | विदुरापुत्रानुशासनम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|