Index Search for 'आत्मवन्तमिव' |
Shloka: | न त्वामेवंविधो भावः स्प्रष्टुमर्हति मानद ।आत्मवन्तमिव व्याधिः पुरुषं वृद्धशीलिनम् ॥ |
Reference: | 3.42.264.0.4(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>चतुःषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#4) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | चतुःषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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