Index Search for 'आत्मप्रदानं' |
Shloka: | सूर्य उवाच - बालेति कृत्वानुनयं तवाहं ददानि नान्यानुनयं लभेत ।आत्मप्रदानं कुरु कुन्तिकन्ये शान्तिस्तवैवं हि भवेच्च भीरु ॥ |
Reference: | 3.43.290.0.24(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>कुन्दलाहरणपर्व>नवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#24) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | कुन्दलाहरणपर्व |
Adhyaya: | नवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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