Index Search for 'आज्ञापयामास' |
Shloka: | निर्याणे स मतिं कृत्वा निधायासिं क्षपाचरः ।आज्ञापयामास तदा रथो मे कल्प्यतामिति ॥ |
Reference: | 3.42.273.0.33(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>त्रिसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#33) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | त्रिसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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