Index Search for 'आचारहीनाया' |
Shloka: | देवयानि उवाच - कस्मात् गृह्णासि मे वस्त्रम् शिष्या भूत्वा मम असुरि । सम् उत्आचारहीनाया न ते श्रेयः भविष्यति ॥ |
Reference: | 1.7.73.2.8(आदिपर्व>संभवपर्व>त्रिसप्ततितमोऽध्यायः (73)>ययात्युपाख्यान>श्लोक#8) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | त्रिसप्ततितमोऽध्यायः (73) |
Akhyana: | ययात्युपाख्यान |
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