Index Search for 'आचख्युर्निहतं' |
Shloka: | ततः प्रकृतयः सर्वाः शाल्वेभ्योऽभ्यागता नृप ।आचख्युर्निहतं चैव स्वेनामात्येन तं नृपम् ॥ |
Reference: | 3.42.283.0.3(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>त्र्यशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#3) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | त्र्यशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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