Index Search for 'आङ्गिरसम्' |
Shloka: | जिगीषया ततः देवा वव्रिरेआङ्गिरसम् मुनिम् । पौरोहित्येन याज्यार्थे काव्यम् तूशनसम् परे । ब्राह्मणौ तौ उभौ नित्यम् अन्योन्य स्पर्धिनौ भृशम् ॥ |
Reference: | 1.7.71.2.6(आदिपर्व>संभवपर्व>एकसप्ततितमोऽध्यायः (71)>ययात्युपाख्यान>श्लोक#6) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | एकसप्ततितमोऽध्यायः (71) |
Akhyana: | ययात्युपाख्यान |
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