Index Search for 'आगम्याहवनीयं' |
Shloka: | समाहूतो हुतवहः सोऽद्भुतः सूर्यमण्डलात् । विनिःसृत्याययौ वह्निर्वाग्यतो विधिवत्प्रभुः ।आगम्याहवनीयं वै तैर्द्विजैर्मन्त्रतो हुतम् ॥ |
Reference: | 3.37.213.0.40(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>त्रयोदशाधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#40) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | त्रयोदशाधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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