Index Search for 'आगम्य' |
Shloka: | ततस्ते सागरास्तात हृतं मत्वा हयोत्तमम् ।आगम्य पितुराचख्युरदृश्यं तुरगं हृतम् । तेनोक्ता दिक्षु सर्वासु सर्वे मार्गत वाजिनम् ॥ |
Reference: | 3.33.105.0.11(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>पञ्चाधिकशततमोऽध्यायः (105)>श्लोक#11) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | पञ्चाधिकशततमोऽध्यायः (105) |
Akhyana: | |
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