Index Search for 'आगत्य' |
Shloka: | बृहदश्व उवाच - सर्वं विकारं दृष्ट्वा तु पुण्यश्लोकस्य धीमतः ।आगत्य केशिनी क्षिप्रं दमयन्त्यै न्यवेदयत् ॥ |
Reference: | 3.32.74.0.1(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>इन्द्रलोकाभिगमनपर्व>चतुःसप्ततितमोऽध्यायः (74)>श्लोक#1) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | इन्द्रलोकाभिगमनपर्व |
Adhyaya: | चतुःसप्ततितमोऽध्यायः (74) |
Akhyana: | |
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