Index Search for 'आक्रम्याक्रम्य' |
Shloka: | आक्रम्याक्रम्य साधूनां दारांश्चैव धनानि च । भोक्ष्यन्ते निरनुक्रोशा रुदतामपि भारत ॥ |
Reference: | 3.37.188.0.34(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>अष्टाशीत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#34) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | अष्टाशीत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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