Index Search for 'फलमूलामिषं' |
Shloka: | फलमूलामिषं शाकं संस्कृतं यन्महानसे । चतुर्विधं तदन्नाद्यमक्षय्यं ते भविष्यति । धनं च विविधं तुभ्यमित्युक्त्वान्तरधीयत ॥ |
Reference: | 3.29.4.0.3(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आरण्यकपर्व>चतुर्थोऽध्यायः (04)>श्लोक#3) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आरण्यकपर्व |
Adhyaya: | चतुर्थोऽध्यायः (04) |
Akhyana: | |
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