Index Search for 'फलमूलादिभिस्तथा' |
Shloka: | मार्कण्डेय उवाच - मारीचस्त्वथ संभ्रान्तो दृष्ट्वा रावणमागतम् । पूजयामास सत्कारैःफलमूलादिभिस्तथा ॥ |
Reference: | 3.42.262.0.1(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्विषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#1) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्विषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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