Index Search for 'फलं' |
Shloka: | युधिष्ठिर उवाच - कथं स्वर्गे गतिः सर्प कर्मणां चफलं ध्रुवम् । अशरीरस्य दृश्येत विषयांश्च ब्रवीहि मे ॥ |
Reference: | 3.36.178.0.8(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आजगरपर्व>अष्टसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#8) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आजगरपर्व |
Adhyaya: | अष्टसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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