Index Search for 'फेनवत्यः' |
Shloka: | फेनवत्यः प्रकीर्णाश्च संहताश्च समुच्छ्रिताः । ऊर्मयश्चात्र दृश्यन्ते चलन्त इव पर्वताः । नावः सहस्रशस्तत्र रत्नपूर्णाः समन्ततः ॥ |
Reference: | 3.35.166.0.2(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>यक्षयुद्धपर्व>षट्षष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#2) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | यक्षयुद्धपर्व |
Adhyaya: | षट्षष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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