Index Search for 'फलं' |
Shloka: | तथाफलं वृत्तमथो विचित्रं समाहनत्पाणिना दक्षिणेन । तद्भूमिमासाद्य पुनः पुनश्च समुत्पतत्यद्भुतरूपमुच्चैः ॥ |
Reference: | 3.33.112.0.10(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>द्वादशाधिकशततमोऽध्यायः (112)>श्लोक#10) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | द्वादशाधिकशततमोऽध्यायः (112) |
Akhyana: | |
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