Index Search for 'यथार्हसिद्धस्नेहभ्यक्तगात्रं' |
Sutra: | वातिकोत्तरवातिकानां पुनर्मूलादीनामुत्क्वाथैः सुखोष्णैः कुम्भीर्वर्षणिकाः प्रानाडीर्वा पूरयित्वायथार्हसिद्धस्नेहभ्यक्तगात्रं वस्त्रावच्छन्नं परिषेचयेदिति परिषेकः । |
Reference: | 1.13.45.0(सूत्रस्थान>स्नेहाध्याय>सूत्र#45.0) |
Sthana: | सूत्रस्थान |
Adhyaya: | स्नेहाध्याय |
Search other sources: | search this word on other online resources
|