Index Search for 'बाह्येनाभ्यन्तरेण' |
Sutra: | भवन्ति चात्र--प्राज्ञो रोगे समुत्पन्नेबाह्येनाभ्यन्तरेण वा कर्मणा लभते शर्म शस्त्रोपक्रमणेन वा॥ |
Reference: | 1.10.56.0(सूत्रस्थान>महाचतुष्पादाध्याय>सूत्र#56.0) |
Sthana: | सूत्रस्थान |
Adhyaya: | महाचतुष्पादाध्याय |
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