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Sthana
 


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Sutra: इह खलु राजानम् राजमात्रमन्यं वा विपुलद्रव्यं वमनं विरेचनं वा पायतिकामेन भिषजा प्रागेवौषधपानात् संभारा उपकल्पनीया भवन्ति सम्यक् चैव हि गच्छत्यौषधे प्र्तिभोगार्थाः व्यापन्ने चौषधे व्यापदः परिसंख्याय प्रतीकारार्थाः हि सन्निकृष्टे काले प्रादुर्भूतायामापदि सत्यपि क्रयाक्रये सुकरमाशु संभरणमौषधानां यथावदिति ।
Reference:1.14.3.0(सूत्रस्थान>स्वेदाध्याय>सूत्र#3.0)
Sthana:सूत्रस्थान
Adhyaya:स्वेदाध्याय
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