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Sutra: | एकैकश:सर्वशश्चापि दोषै: शोकेनान्य:षष्ठ आमेन चोक्त:। केचित् प्राहुर्नैकरूपप्रकारं नैवेत्येवं काशिराजस्त्ववोचत्॥ |
Reference: | 1.1.40.7.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#7.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
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