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Index Search for        'षष्टिकौदनं'
Sutra: विशेषस्तु गर्भिणी प्रथमद्वितीयतृतीयमासेषु मधुरशीतद्रवप्रायमाहारमुपसेवेत; विशेषतस्तु तृतीयेषष्टिकौदनं पयसा भोजयेत्, चतुर्थे दध्ना, पञ्चमे पयसा, षष्ठे सर्पिषेत्येके; चतुर्थे पयोनवनीतसंसृष्टमाहारयेज्जाङ्गलमांससहितं हृद्यमन्नं च भोजयेत्, पञ्चमे क्षीरसर्पिःसंसृष्टं, षष्ठे श्वदंष्ट्रासिद्धस्य सर्पिषो मात्रां पाययेद् यवागूं वा, सप्तमे सर्पिः पृथक्पर्ण्यादिसिद्धम्, एवमाप्यायते गर्भः; अष्टमे बदरोदकेन बलातिबलाशतपुष्पापललपयोदधिमस्तुतैललवणमदनफलमधुघृतमिश्रेणास्थापयेत् पुराणपुरीषशुद्ध्यर्थमनुलोमनार्थं च वायो
Reference:1.1.10.4.0(पूर्व>सूत्र>विशिखानुप्रवेशनीयम्>सूत्र#4.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:विशिखानुप्रवेशनीयम्
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