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Index Search for        'षणमासानुपयुज्य'
Sutra: मेधायुः कामः श्वेतावल्गुजफलान्यातपपरिशुष्काण्यादाय सूक्ष्मचूर्णानि कृत्वा गुडेन सहालोड्य स्नेहकुम्भे सप्तरात्रं धान्यराशौ निदध्यात् सप्तरात्रादुद्धृत्य हृतदोषस्य यथाबलं पिण्डं प्रयच्छेदनुदिते सूर्ये उष्णोदकं चानुपिबेत् भल्लातकविधानवच्चागारप्रवेशः जीर्णौषधश्चापराह्णे हिमाभिरद्भिः परिषिक्तगात्रः शालीनां षष्टिकानां च पयसा शर्करामधुरेणौदनमश्नीयात्। एवंषणमासानुपयुज्य विगतपाप्मा बलवर्णोपेतः श्रुतनिगादी स्मृतिमानरोगो वर्षशतायुर्भवति कुष्ठिनं पाण्डुरोगिणमुदरिणं वा कृष्णाया गोर्मूत्रेणालोड्यार्धपलिकं पि
Reference:1.1.28.3.0(पूर्व>सूत्र>विपरीताविपरितव्रणविज्ञानीयम्>सूत्र#3.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:विपरीताविपरितव्रणविज्ञानीयम्
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