Search Sushruta-Samhita (सुश्रुत-संहिता-अण्वेषण-पृष्ठ)     Susruta Samhit Home (आदि-पृष्ठ)           Site Home  (वेब-फलक-आदि-पृष्ठ)

DIRECT SEARCH(unicode Sanskrit)
  

ALPHABET SEARCH
                                 अं       लृ                                    
                                                            क्ष   त्र   ज्ञ


SEARCH BY CLASS
Tantra
 


Results
Index Search for        'फेनिलमरुणं'
Sutra: तत्रफेनिलमरुणं कृष्णं परुषं तनुशीघ्रगमस्कन्दि च वातेन दु्ष्ट; नीलं पीतं हरितं श्यावं विस्रमनिष्टं पिपीलिकामक्षिकाणामस्कन्दि च पित्तेन दुष्ट; गैरिकोदकप्रतीकाशं स्निग्धं शीतलं बहलं पिच्छिलं चिरस्रावि मांसपेशीप्रभं च श्लेष्मदुष्टं; सर्वलक्षणसंयुक्तं काञ्जिकाभं विशेषतो दुर्गन्धि च सन्निपातदुष्टं; द्विदोषलिङ्गं संसृष्टम्॥
Reference:1.1.14.22.0(पूर्व>सूत्र>शोणितवर्णनीयम्>सूत्र#22.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:शोणितवर्णनीयम्
Search other sources: search this word on other online resources