Search Sushruta-Samhita
(सुश्रुत-संहिता-अण्वेषण-पृष्ठ)
Susruta Samhit Home
(आदि-पृष्ठ)
Site Home
(वेब-फलक-आदि-पृष्ठ)
DIRECT SEARCH
(unicode Sanskrit)
ALPHABET SEARCH
ॐ
अ
आ
इ
ई
 
उ
ऊ
ए
ऐ
ओ
औ
अं
ऋ
लृ
क
ख
ग
घ
च
छ
ज
झ
ट
ठ
ड
ढ
ण
त
थ
द
ध
न
प
फ
ब
भ
म
य
र
ल
व
श
ष
स
ह
क्ष
त्र
ज्ञ
SEARCH BY CLASS
Tantra
पूर्वतंत्र
उत्तरतंत्र
Results
Index Search for
'त्रीणि'
Sutra:
त्रीणि
सषष्टीन्यस्थिशतानि वेदवादिनो भाषन्ते; शल्यतन्त्रे तु त्रीण्येव शतानि।तेषां सविंशमस्थिशतं शाखासु, सप्तदशोत्तरं शतं श्रोणिपार्श्वपृष्ठोरःसु, ग्रीवां प्रत्यूर्ध्वं त्रिषष्टिः, एवमस्थ्नां
त्रीणि
शतानि पूर्यन्ते॥
Reference:
1.1.5.18.0(पूर्व>सूत्र>अग्रोपहरणीयम्>सूत्र#18.0)
Tantra:
पूर्व
Sthana:
सूत्र
Adhyaya:
अग्रोपहरणीयम्
Search other sources:
search this word on other online resources