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Tantra
 


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Index Search for        'त्रिविधो'
Sutra: तस्मादव्यक्तान्महानुत्पद्यते तल्लिङ्घ एव; तल्लिङ्गाच्च महतस्तल्लक्षण एवाहङ्कार उत्पद्यते, सत्रिविधो वैकारिकस्तैजसो भूतादिरिति; तत्र वैकारिकादहङ्कारात् तैजससहायात् तल्लक्षणान्येवैकादशेन्द्रियाण्युत्पद्यन्ते, तद्यथा-श्रोत्रत्वक्चक्षुर्जिह्वाघ्राणवाग्घस्थपायुपादमनांसीति; तत्र पूर्वाणि पञ्च बुद्धीन्द्रियाणि, इतराणि पञ्च कर्मेन्द्रियाणि,उभयात्मकं मन: ; भूतादेरपि तैजसहायात् तल्लक्षणान्येव पञ्चतन्मात्राण्युत्पद्यन्ते -शब्दतन्मात्रं, रूपतन्मात्रं, स्पर्शतन्मात्रं, रसतन्मात्रं, गन्धतन्मात्रमिति; तेषां व
Reference:1.1.1.4.0(पूर्व>सूत्र>वेदोत्पत्तिः>सूत्र#4.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:वेदोत्पत्तिः
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