Search Sushruta-Samhita
(सुश्रुत-संहिता-अण्वेषण-पृष्ठ)
Susruta Samhit Home
(आदि-पृष्ठ)
Site Home
(वेब-फलक-आदि-पृष्ठ)
DIRECT SEARCH
(unicode Sanskrit)
ALPHABET SEARCH
ॐ
अ
आ
इ
ई
 
उ
ऊ
ए
ऐ
ओ
औ
अं
ऋ
लृ
क
ख
ग
घ
च
छ
ज
झ
ट
ठ
ड
ढ
ण
त
थ
द
ध
न
प
फ
ब
भ
म
य
र
ल
व
श
ष
स
ह
क्ष
त्र
ज्ञ
SEARCH BY CLASS
Tantra
पूर्वतंत्र
उत्तरतंत्र
Results
Index Search for
'त्रिभिर्दोषैश्चानुगतधातोः'
Sutra:
तत्र वसामेदोभ्यामभिपन्नशरीरस्य
त्रिभिर्दोषैश्चानुगतधातोः
प्रमेहिणो दश पिडका जायन्ते। तद्यथा- शराविका, सर्षपिका, कच्छपिका, जालिनी, विनता, पुत्रिणी, मसूरिका, अलजी, विदारिका, विद्रधिका चेति॥
Reference:
1.1.6.14.0(पूर्व>सूत्र>ऋतुचर्यम्>सूत्र#14.0)
Tantra:
पूर्व
Sthana:
सूत्र
Adhyaya:
ऋतुचर्यम्
Search other sources:
search this word on other online resources