Index Search for 'त्रिफलान्वितां' |
Sutra: | अयोरजोव्योषविडङ्गचूर्णं लिह्यात् हरिद्रांत्रिफलान्वितां वा। सार्पिर्मधुभ्यां विदधीत वाऽपि शास्त्रप्रदेशाभिहितांश्च योगान्॥ |
Reference: | 1.1.44.17.0(पूर्व>सूत्र>विरेचनद्रव्यविकल्पविज्ञानीयम्>सूत्र#17.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | विरेचनद्रव्यविकल्पविज्ञानीयम् |
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