Search Sushruta-Samhita
(सुश्रुत-संहिता-अण्वेषण-पृष्ठ)
Susruta Samhit Home
(आदि-पृष्ठ)
Site Home
(वेब-फलक-आदि-पृष्ठ)
DIRECT SEARCH
(unicode Sanskrit)
ALPHABET SEARCH
ॐ
अ
आ
इ
ई
 
उ
ऊ
ए
ऐ
ओ
औ
अं
ऋ
लृ
क
ख
ग
घ
च
छ
ज
झ
ट
ठ
ड
ढ
ण
त
थ
द
ध
न
प
फ
ब
भ
म
य
र
ल
व
श
ष
स
ह
क्ष
त्र
ज्ञ
SEARCH BY CLASS
Tantra
पूर्वतंत्र
उत्तरतंत्र
Results
Index Search for
'त्रय:'
Sutra:
मुखरोगा: पञ्चषष्टिर्भवन्ति सप्तस्वायतनेषु। तत्रायतनानि- ओष्ठौ, दन्तमूलानि, दन्ता:, जिह्वा, तालु, कण्ठ:, सर्वाणि चेति। तत्राष्टावोष्ठयो:, पञ्चदश दन्तमूलेषु, अष्टौ दन्तेषु, पञ्चजिह्वायां, नव तालुनि, सप्तदश कण्ठे,
त्रय:
सर्वेष्वायतनेषु॥
Reference:
1.1.16.3.0(पूर्व>सूत्र>कर्णव्यधबन्धविधिम्>सूत्र#3.0)
Tantra:
पूर्व
Sthana:
सूत्र
Adhyaya:
कर्णव्यधबन्धविधिम्
Search other sources:
search this word on other online resources